आज अपने बचपन का किस्सा सुनाता हूँ । एकदम सत्य घटना है । आपबीती .......
1975 में , जिस साल emergency लगाई इंदिरा गांधी ने , उस ज़माने की बात है ।
पिता जी उन दिनों चंडीगढ़ के नज़दीक चंडीमंदिर cantt में posted थे । उनकी रेजिमेंट में सैकड़ों आम के पेड़ थे । मुझे वो ज़माना याद है जब देश मे चारों तरफ आम के बाग हुआ करते थे । हर गांव में हज़ारों पेड़ होते थे जिनपे देसी आम अम्बियाँ लगती थीं । सब पेड़ ये Timber माफिया खा गया ।
पिता जी उन दिनों चंडीगढ़ के नज़दीक चंडीमंदिर cantt में posted थे । उनकी रेजिमेंट में सैकड़ों आम के पेड़ थे । मुझे वो ज़माना याद है जब देश मे चारों तरफ आम के बाग हुआ करते थे । हर गांव में हज़ारों पेड़ होते थे जिनपे देसी आम अम्बियाँ लगती थीं । सब पेड़ ये Timber माफिया खा गया ।
खैर ....... उन पेड़ों की कोटरों में हज़ारों तोते रहते थे । कुछ कोटर तो ज़मीन से सिर्फ एक डेढ़ मीटर ऊपर ही होते थे । ऐसी ही एक कोटर से तोते का एक बच्चा बाहर गिर गया । बच्चा अभी इतना छोटा था कि उसके शरीर पे बाल या पंख नही उगे थे । पिता जी वो बच्चा घर ले आये । अब हमको एक खिलौना मिल गया । पिंजरा हमारे घर था नही , सो तोते का वो बच्चा यूँ ही खुले में हमारे घर मे पलने लगा । उसका नाम रखा गया गंगाराम ...... गंगाराम हमारे साथ ही खाता सोता ...... उसे हम चने की दाल भिगा के खिलाते ....... इसके अलावा वो सभी किस्म के फल सब्जियां अनाज भी खाता था ...... चंद हफ्तों में ही उसके शरीर पे बाल / पंख उग आए ........ अब हम उसे अपनी उंगली पे बैठाए पूरी कालोनी में घूमते ........ अपनी उंगली पे उसे बैठा के जब हाथ ऊपर नीचे करते हिलाते , तो balance बनाने के लिए वो पंख फड़फड़ाता ......... इससे उसके पंखों में जान आ गयी ....... उसे हम कपड़े सुखाने वाली तार पे बैठा देते तो भी वो खूब पंख फड़फड़ाता ।
अब हम उसे पकड़ के उछाल देते तो वो पंख फड़फड़ाता ज़मीन पे सुरक्षित land कर जाता । अब हम सभी भाई बहनों के पास दिन भर बस एक ही काम था ....... अपने गंगाराम को उड़ना सिखाना ....... दिन भर उसकी ट्रेनिंग चलती ........ पर एक समस्या थी ....... घर मे पंखे चलते थे और अंदर बंद कमरों में ही उसकी उड़ने की ट्रेनिंग होती ....... तो हम लोगों ने गंगाराम की सुरक्षा के मद्देनजर पंखे बंद कर दिए ........ सिर्फ एक महीने के भीतर ही अब गंगाराम बाहर मैदान में भी उड़ने लगा था और 100 -- 50 मीटर की flights ले लेता था ...... हम उसे खुले मैदान में उड़ा देते और वो पूरे मैदान का चक्कर लगा के हमारे कंधे पे वापस आ बैठता ...... फिर धीरे धीरे वो और ज़्यादा लंबी उड़ानों पे भी जाने लगा ....... एक दिन वो एक बिजली की तार पे जा बैठा ........ हम सब बच्चे डर गए ....... अगर गंगाराम को current लग गया तो ????? तभी एक अंकल जी ने बताया कि डरो मत , तब तक कुछ नही होगा , जब तक कि गंगा राम का शरीर दूसरी तार से छू न जाये ...... खैर किसी तरह नाना प्रकार के लालच दे कर गंगाराम को वहां से वापस बुलाया/ उतारा गया और फिर बाकायदे उनकी डांट फटकार हुई ....... समझाया गया कि बिजली की तार पे नही बैठना है .........
अब हम उसे पकड़ के उछाल देते तो वो पंख फड़फड़ाता ज़मीन पे सुरक्षित land कर जाता । अब हम सभी भाई बहनों के पास दिन भर बस एक ही काम था ....... अपने गंगाराम को उड़ना सिखाना ....... दिन भर उसकी ट्रेनिंग चलती ........ पर एक समस्या थी ....... घर मे पंखे चलते थे और अंदर बंद कमरों में ही उसकी उड़ने की ट्रेनिंग होती ....... तो हम लोगों ने गंगाराम की सुरक्षा के मद्देनजर पंखे बंद कर दिए ........ सिर्फ एक महीने के भीतर ही अब गंगाराम बाहर मैदान में भी उड़ने लगा था और 100 -- 50 मीटर की flights ले लेता था ...... हम उसे खुले मैदान में उड़ा देते और वो पूरे मैदान का चक्कर लगा के हमारे कंधे पे वापस आ बैठता ...... फिर धीरे धीरे वो और ज़्यादा लंबी उड़ानों पे भी जाने लगा ....... एक दिन वो एक बिजली की तार पे जा बैठा ........ हम सब बच्चे डर गए ....... अगर गंगाराम को current लग गया तो ????? तभी एक अंकल जी ने बताया कि डरो मत , तब तक कुछ नही होगा , जब तक कि गंगा राम का शरीर दूसरी तार से छू न जाये ...... खैर किसी तरह नाना प्रकार के लालच दे कर गंगाराम को वहां से वापस बुलाया/ उतारा गया और फिर बाकायदे उनकी डांट फटकार हुई ....... समझाया गया कि बिजली की तार पे नही बैठना है .........
अब तक गंगाराम को आये 3 महीने बीत चुके थे और गंगाराम सयाने हो गए थे । दिन भर हमारे साथ घर मे रहते । हमारे ही कंधे पे सवार मैदान में जाते .......वहां अपनी मनमर्जी उड़ते , घूम टहल के 10 -- 15 मिनट में वापस आ जाते ....... फिर एक दिन गंगाराम गायब हो गए ....... हम सब हलकान परेशान ....... गंगाराम को खोजो अभियान शुरू हुआ ........ बारिश हो रही थी ......हम दोनों भाई उसी बारिश में दिन भर उसे खोजते रहे , गंगाराम नही मिला ....... इलाके के पूरे पेड़ देख मारे ....... नही मिला ......... फिर देखा कि मूसलाधार बारिश में एक पेड़ पे बैठे ठिठुर रहे हैं ...... चढ़ के उतारा ....... घर लाये , बुरी तरह भीगे हुए थे , ठंड से कांप भी रहे थे ........ झाड़ा पोंछा , खिलाया पिलाया ........ अगले दिन फिर गायब ....... उस दिन सुबह के गए , शाम को लौटे ....... अब हमने कहा , इनकी आवारागर्दी बढ़ रही है , कंट्रोल करो ....... दो दिन घर मे बंद रखा ....... फिर तीसरे दिन निकाला , उड़ाया ....... एक दिन फिर इसी तरह गायब हो गए ........ सुबह गए शाम तक नही आये ....... शाम को हम लोग खोजने निकले , कहीं नही मिले ........ रात हो गयी ...... हम सब मायूस ......... वो पहली रात थी जो गंगाराम ने घर से बाहर बिताई थी ........ रात भर हम बेचैन रहे ........ अगले दिन , अल्लसुबह ....... क्या देखते हैं कि सामने वाली बिल्डिंग की छत पे बैठे हैं ....... भाग कर गए ...... ले आये .......
अब इसी तरह गायब होना उनका रूटीन हो गया ...... कई बार दो दो दिन बाद आते ........ फिर एक बार गए तो 3 -- 4 दिन बाद लौटे ....... अबकी पूरे झुंड के साथ थे ....... सैकड़ों तोतों के बीच भी हमने उसे पहचान लिया ....... आवाज़ लगाई तो आ के कंधे पे बैठ गए ........
अब इसी तरह गायब होना उनका रूटीन हो गया ...... कई बार दो दो दिन बाद आते ........ फिर एक बार गए तो 3 -- 4 दिन बाद लौटे ....... अबकी पूरे झुंड के साथ थे ....... सैकड़ों तोतों के बीच भी हमने उसे पहचान लिया ....... आवाज़ लगाई तो आ के कंधे पे बैठ गए ........
पर वो आखिरी बार था ....... उसके बाद जो गए , तो फिर कभी नही लौटे ....... हमने खोजने की कोशिश भी की ........ नही मिले .......
British Film Institute ने विश्व सिनेमा की 100 फिल्मों की एक सूची बनाई है , वो 100 फिल्में जो 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को दिखानी चाहिए जिससे उनमे मानवीय गुणों का संचार हो .........
गंगाराम को हमने पाला तो मेरी आयु 10 साल थी । उस कच्ची उम्र में ही मुझे गंगाराम बहुत कुछ सिखा गया था ....... किसी चीज़ से जीवन भर का नेह मत पालो ....... कुछ चीज़ें पाल के फिर उड़ा देनी चाहिए .......
यही प्रकृति का नियम है ........ यही शाश्वत सत्य है ।
ये सब कुछ हमेशा नही रहेगा ।
ये सब कुछ हमेशा नही रहेगा ।