समुद्र की रूपहली सतह के ऊपर हवा के झोंकों से
तूफान के बादल जमा हो रहे हैं और बादलों तथा समुद्र के बीच तूफानी पितरेल चक्कर लगा रहा है।
.....
तूफान के बादल समुद्र की सतह पर घिरते आ रहे हैं
बिजली कड़कती है,
और समंदर की लहरें हवा के झोंको के विरूद्ध
भयानक युद्ध करती हैं,
........
तूफान! शीघ्र ही तूफान टूट पड़ेगा!
फिर भी तूफानी पितरेल पक्षी गर्व के साथ
बिजली के कौंधों के बीच गरजते-चिंघाड़ते
समुद्र के ऊपर मंडरा रहा है...
.......
आए तूफान, अपनी पूरी ताकत के साथ आए।
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तूफान के बादल जमा हो रहे हैं और बादलों तथा समुद्र के बीच तूफानी पितरेल चक्कर लगा रहा है।
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तूफान के बादल समुद्र की सतह पर घिरते आ रहे हैं
बिजली कड़कती है,
और समंदर की लहरें हवा के झोंको के विरूद्ध
भयानक युद्ध करती हैं,
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तूफान! शीघ्र ही तूफान टूट पड़ेगा!
फिर भी तूफानी पितरेल पक्षी गर्व के साथ
बिजली के कौंधों के बीच गरजते-चिंघाड़ते
समुद्र के ऊपर मंडरा रहा है...
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आए तूफान, अपनी पूरी ताकत के साथ आए।
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मैक्सिम गोर्की की यह कालजयी कविता उस काल में स्वच्छंद और जवाबदेही विहीन रूसी निजामत के विरुद्ध एक चेतावनी थी जिसे नजरअंदाज करने और कम आंकने की कीमत संवेदनहीन शासकों को चुकानी पड़ी थी और उनके शव सड़कों पर घसीटे गये।
भारत के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, राजनेताओ व मुस्लिम भय से ग्रसित कायर मी लॉर्ड साहिबानों के ऊपर भी एक #तूफान मंडरा रहा है जिसे वे नजरअंदाज कर रहे हैं और इन्हें भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।