बुद्ध की बुद्धिमत - Bablu Sharma

Everyone needs some inspiration, and these motivational quotes will give you the edge you need to create your success. So read on and let them inspire you.

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बुद्ध की बुद्धिमत


भगवान बुद्ध एक बार किसी गाँव के गुजर रहे थे। गाँव के कुछ लोग उन्हें अपशब्द कहकर उनका अपमान करने लगे। कुछ देर बाद बुद्ध ने कहा, ‘‘अगर आप लोगों की बात समाप्त हो गई हो तो मैं यहाँ से जाऊँ ? मुझे दूसरे गाँव पहुंचना है।
यह शब्द सुनते ही सारे ग्रामवासी आश्चर्यचकित हो गए। वे बोले, ‘‘हमने बात को कुछ नहीं की। आपको सिर्फ अपशब्द कहे हैं, फिर भी आप दुखी नहीं हुए ? बदले में अपशब्द का उत्तर तो दिया होता या कुछ कहा होता ?’’
स्थितप्रज्ञ बुद्ध बोले, ‘‘मुझे अपमान से दु:ख या स्वागत से सुख नहीं मिलता। मैं तो अपने लिए भी सिर्फ द्रष्टा मात्र रह गया हूँ। अब मैं आप लोगों के साथ भी वही करूँगा जो मैंने पिछले गाँव में किया है।’’ कुछ लोगों के पूछने पर कि आपने वहाँ क्या किया ? बुद्ध ने कहा, ‘पिछले गाँव में कुछ लोग मुझे फल-फूल व मिठाई भरी थालियाँ भेंट करने आए थे। मैंने कहा कि मेरा पेट भरा हुआ है, मुझे क्षमा करो । मेरे ऐसा कहने पर वे वापस चले गए। अब आप लोग अपश्ब्द लेकर आए हैं, अत: आप भी इन्हें वापस ले जाएँ क्योंकि वापस ले जाने के अलावा आप लोगों के पास कोई दूसरा उपाय नहीं है। उस गाँव के लोगों ने मिठाइयाँ और फल तो लोगों में बांट दिये होंगे, लेकिन आप लोग ये सारी गालियाँ किसको बाँटोगे, क्योंकि मैं इन्हें लेने से इनकार कर रहा हूँ।’’
अपशब्द कहनेवाले एक-दूसरे का मुँह ताकते रह गए और बुद्ध अपने रास्ते आगे बढ़ गए।


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