चीन को सबक सिखाने के लिए 'अंतरिक्ष युद्ध' की रिहर्सल में जुटा भारत ! - Bablu Sharma

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चीन को सबक सिखाने के लिए 'अंतरिक्ष युद्ध' की रिहर्सल में जुटा भारत !

चीन को सबक सिखाने के लिए 'अंतरिक्ष युद्ध' की रिहर्सल में जुटा भारत !
अंतरिक्ष की दुनिया में सोमवार को चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है. अंतरिक्ष में लगातार अपनी ताकत बढ़ाने के साथ ही भारत ने चीन को टक्कर देने और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की तैयारी तेज कर दी है. भारत अतंरिक्ष के खतरों से निपटने के लिए अब गरुवार से दो दिवसीय अंतरिक्ष युद्धाभ्यास करने की तैयारी में है. इस 'अंतरिक्ष युद्धाभ्यास' का नाम 'IndSpaceEx'रखा गया है.
भारत ने मार्च में एंटी-सैटलाइट (A-Sat) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था और हाल ही में ट्राई सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी की शुरुआत भी की है. अभी तक की जानकारी के मुताबिक यह युद्धाभ्यास एक टेबल टॉपर वार गेम पर आधारित होगा. इस युद्धाभ्यास में सेना के अधिकारी और कई वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे.
उल्लेखनीय है कि भारत ने 'मिशन शक्ति' के तहत एक विश्वसनीय काउंटर-स्पेस क्षमता विकसित करने की ओर अपने कदम बढ़ाए हैं. यह इस मिशन शक्ति की ओर भारत का पहला कदम है. भारत ने इसी साल 27 मार्च को पृथ्वी की कक्षा में 283 किमी की ऊंचाई पर 740 किलोग्राम की माइक्रोसेट-आर उपग्रह को नष्ट करने के लिए 19-टन की इंटरसेप्टर मिसाइल (LEO) लॉन्च किया था. भारत को टक्कर देने के लिए चीन भी लगातार अंतरिक्ष में मौजूद सेटेलाइट को नष्ट करने की ताकत रखने वाली मिसाइलों पर जोर दे रहा है. चीन इसके लिए एंटी-सैटलाइट (A-Sat)मिसाइलों के साथ ही नॉन काइनेटिक जैसे लेजर और इलेक्ट्रो मैग्नेटिक प्लस हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है.
'अंतरिक्ष का सैन्यीकरण हो रहा है. सभी ताकतवर देशों के बीच अतंरिक्ष में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है. रक्षा मंत्रालय की ओर से अलगे दो दिन में होने वाले युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारत द्वारा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अंतरिक्ष और काउंटर-स्पेस क्षमताओं का आकलन करना है. इससे अन्तरिक्ष में भारत राष्ट्रीय सुरक्षा का आकलन भी होगा.
IndSpaceEx में क्या होगा खास
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत को स्पेस में विरोधियों की हर हरकत पर नजर रखने, मिसाइल की पूर्व चेतावनी और सटीक टारगेट लगाने जैसी चीजों की आवश्यकता है. इस युद्धाभ्यास से हमारे सशस्त्र बल की विश्वसनीयता बढ़ेगाी और राष्ट्रीय सुरक्षा का और अधिक मजबूत किया जा सकेगा. इस युद्धाभ्यास की सबसे बड़ी बात ये है कि इससे अंतरिक्ष में आगे आने वाली चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी !

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