!!•!! रामायण
के प्रमुख पात्र एवं उनका परिचय !!•!!
ये
जानकारी सिर्फ इसलिए दी जा रही है जिससे की आप रामायण को आसानी से और अच्छे से समझ
सकें :-
दशरथ
– रघुवंशी राजा इन्द्र के मित्र कोशल के राजा तथा
राजधानी एवं निवास अयोध्या ।
कौशल्या
– दशरथ की बङी रानी, राम की
माता ।
सुमित्रा
- दशरथ की मझली रानी, लक्ष्मण तथा शत्रुध्न की माता ।
कैकयी
- दशरथ की छोटी रानी, भरत की माता ।
सीता
– जनकपुत्री, राम की पत्नी ।
उर्मिला
– जनकपुत्री, लक्ष्मण की पत्नी
।
मांडवी
– जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, भरत की पत्नी ।
श्रुतकीर्ति
- जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, शत्रुध्न की पत्नी ।
राम
– दशरथ तथा कौशल्या के पुत्र, सीता
के पति ।
लक्ष्मण - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, उर्मिला के पति ।
लक्ष्मण - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, उर्मिला के पति ।
भरत
– दशरथ तथा कैकयी के पुत्र, मांडवी
के पति ।
शत्रुध्न
- दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, श्रुतकीर्ति के पति,
मथुरा के राजा लवणासूर के संहारक ।
शान्ता
– दशरथ की पुत्री, राम भगिनी ।
बाली
– किश्कंधा (पंपापुर) का राजा, रावण का मित्र तथा साढ़ू, साठ हजार हाथीयो का बल ।
सुग्रीव
– बाली का छोटा भाई, जिनकी
हनुमान जी ने मित्रता करवाई ।
तारा
– बाली की पत्नी, अंगद की माता,
पंचकन्याओ मे स्थान ।
रुमा
– सुग्रीव की पत्नी, सुषेण वैध
की बेटी ।
अंगद
– बाली तथा तारा का पुत्र ।
रावण
– ऋषि पुलस्त्य का पौत्र, विश्रवा
तथा पुष्पोत्कटा का पुत्र ।
कुंभकर्ण
– रावण तथा कुंभिनसी का भाई, विश्रवा
तथा पुष्पोत्कटा का पुत्र ।
कुंभिनसी
– रावण तथा कूंभकर्ण की भगिनी, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा की पुत्री ।
विश्रवा
- ऋषि पुलस्त्य का पुत्र, पुष्पोत्कटा-राका-मालिनी का पति ।
विभीषण
– विश्रवा तथा राका का पुत्र, राम
का भक्त ।
पुष्पोत्कटा
– विश्रवा की पत्नी, रावण,
कुंभकर्ण तथा कुंभिनसी की माता ।
राका
– विश्रवा की पत्नी, विभीषण की
माता ।
मालिनी
- विश्रवा की तीसरी पत्नी, खर-दूषण त्रिसरा तथा शूर्पणखा की माता ।
त्रिसरा
– विश्रवा तथा मालिनी का पुत्र, खर-दूषण का भाई एवं सेनापति ।
शूर्पणखा
- विश्रवा तथा मालिनी की पुत्री, खर-दूसन एवं त्रिसरा की
भगिनी, विंध्य क्षेत्र मे निवास ।
मंदोदरी
– रावण की पत्नी, तारा की
भगिनी, पंचकन्याओ मे स्थान ।
मेघनाद
– रावण का पुत्र इंद्रजीत, ल्क्ष्मन
द्वारा वध ।
दधिमुख
– सुग्रीव का मामा ।
ताङका
– राक्षसी, मिथिला के वनो मे
निवास, राम द्वारा वध ।
मारीची
– ताङका का पुत्र, राम द्वारा
वध (स्वर्ण मर्ग के रूप मे ) ।
सुबाहू
– मारीची का साथी राक्षस, राम
द्वारा वध ।
सुरसा
– सर्पो की माता ।
त्रिजटा
– अशोक वाटिका निवासिनी राक्षसी,
रामभक्त, सीता से अनुराग ।
प्रहस्त
– रावण का सेनापति, राम-रावण
युद्ध मे मृत्यु ।
विराध
– दंडक वन मे निवास, राम
लक्ष्मण द्वारा मिलकर वध ।
शंभासुर
– राक्षस, इन्द्र द्वरा वध,
इसी से युद्ध करते समय कैकेई ने दशरथ को बचाया था तथा दशरथ ने वरदान
देने को कहा ।
सिंहिका
– लंका के निकट रहने वाली राक्षसी, छाया को पकङकर खाती थी ।
कबंद
– दण्डक वन का दैत्य, इन्द्र
के प्रहार से इसका सर धङ मे घुस गया, बाहें बहुत लम्बी थी,
राम-लक्ष्मण को पकङा, राम- लक्ष्मण ने गङ्ढा खोद
कर उसमे गाङ दिया ।
जामबंत
– रीछ थे, रीछ सेना के सेनापति
।
नल – सुग्रीव की सेना का वानरवीर ।
नील
– सुग्रीव का सेनापति जिसके स्पर्श से पत्थर पानी पर
तैरते थे, सेतुबंध की रचना की थी ।
नल
और नील – सुग्रीव सेना मे इंजीनियर व राम सेतु निर्माण मे
महान योगदान । (विश्व के प्रथम इंटरनेशनल हाईवे “रामसेतु”
के आर्किटेक्ट इंजीनियर)
शबरी
– अस्पृश्य जाती की रामभक्त, मतंग
ऋषि के आश्रम मे राम-लक्ष्मण-सीता का आतिथ्य सत्कार ।
संपाती
– जटायु का बङा भाई, वानरो को
सीता का पता बताया ।
जटायु
– रामभक्त पक्षी, रावण द्वारा
वध, राम द्वारा अंतिम संस्कार ।
गृह
– श्रंगवेरपुर के निषादों का राजा, राम का स्वागत किया था ।
हनुमान
– पवन के पुत्र, राम भक्त,
सुग्रीव के मित्र ।
सुषेण
वैध – सुग्रीव के ससुर ।
केवट
– नाविक, राम-लक्ष्मण-सीता को
गंगा पार करायी ।
शुक्र-सारण
– रावण के मंत्री जो बंदर बनकर राम की सेना का भेद
जानने गये ।
अगस्त्य
– पहले आर्य ऋषि जिन्होने विन्ध्याचल पर्वत पार किया
था तथा दक्षिण भारत गये ।
गौतम
– तपस्वी ऋषि, अहल्या के पति,
आश्रम मिथिला के निकट ।
अहल्या
- गौतम ऋषि की पत्नी, इन्द्र द्वारा छलित तथा पति द्वारा शापित, राम ने शाप मुक्त किया, पंचकन्याओ मे स्थान ।
ऋण्यश्रंग
– ऋषि जिन्होने दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ
कटाया था ।
सुतीक्ष्ण
– अगस्त्य ऋषि के शिष्य, एक
ऋषि ।
मतंग
– ऋषि, पंपासुर के निकट आश्रम,
यही शबरी भी रहती थी ।
वसिष्ठ
– अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओ के गुरु ।
विश्वमित्र
– राजा गाधि के पुत्र, राम-लक्ष्मण
को धनुर्विधा सिखायी थी ।
शरभंग
– एक ऋषि, चित्रकूट के पास
आश्रम ।
सिद्धाश्रम
– विश्वमित्र के आश्रम का नाम ।
भरद्वाज
– बाल्मीकी के शिष्य, तमसा नदी
पर क्रौच पक्षी के वध के समय वाल्मीकि के साथ थे, माँ-निषाद’
वाला श्लोक कंठाग्र कर तुरंत वाल्मीकि को सुनाया था ।
सतानन्द
– राम के स्वागत को जनक के साथ जाने वाले ऋषि ।
युधाजित
– भरत के मामा ।
जनक
– मिथिला के राजा ।
सुमन्त्र
– दशरथ के आठ मंत्रियो मे से प्रधान ।
मंथरा
– कैकयी की मुंह लगी दासी, कुबङी
।
देवराज
– जनक के पूर्वज-जिनके पास परशुराम ने शंकर का धनुष
सुनाभ (पिनाक) रख दिया था ।
अयोध्या
– राजा दशरथ के कोशल प्रदेश की राजधानी, बारह योजना लंबी तथा तीन योजन चौङी, नगर के चारो ओर
ऊँची व चौङी दीवारों व खाई थी, राजमहल से आठ सङके बराबर दूरी
पर परकोटे तक जाती थी ।
अब इन सभी ने क्या क्या किया था यह जानने के लिए पढ़िए रामायण और
यदि आप सोच रहे हैं रामायण सिर्फ एक है तो आप गलत हैं 【वाल्मीकि
रामायण , तुलसीदास रामायण , कंबन
रामायण 】आदि कई ऋषियों ने रामायण को अपने शब्दों में लिखा है | सभी पढ़कर देखिये ....