!! प्रस्ताव !! - Bablu Sharma

Everyone needs some inspiration, and these motivational quotes will give you the edge you need to create your success. So read on and let them inspire you.

Post Top Ad

Your Ad Spot

!! प्रस्ताव !!

!! प्रस्ताव !!
एक बार शंकर पार्वती जी अपने आप मे बातें करते हुये टहल रहे थे रास्ते मे भवानी ने पूछा कि - हे भगवान आप इतना ठंड कैसे बरदाश्त कर लेते हो! क्या आप का यह दिव्य शरीर शीत आदि से बाधित नही होता!
शिव हंसने लगे उनका मन थोडा मजाक करने का था तो कहा गिरिजे प्राणप्रिये जब शीत के घर मे तुम्हारा जन्मस्थान है, शीतांशु मेरे सिर पर विराजमान है तो शीत से क्या डरना!
भवानी भव से थोडा रुष्ट होते हुये बोली कि आप मेरे पिता का नाम बदनाम न करें और न ही बहाना करें आप तो राज बताईये!!
नही तो मैं चली अपने पीहर!
भगवान बोले - अरे भागवान क्यों नाराज होती हो! व्यर्थ मे धमकी देती हो! जानता हूं मेरे बगैर नही रह पाती हो फ़िर भी शब्दबाण चलाती हो!!
फ़िर भगवान ने कहा इसके पीछे है एक भक्त की चालाकी !!
भवानी चकित !!
अरे भगवान से भक्त ने चालाकी की कैसे!
आप झूठ बोल रहे हैं ये सम्भव नही!!
शंकर भगवान बोले - अरे नही जानती हो जब भक्त को काम निकालना होता है तो इतने प्रेम से आग्रह करता है कि क्या करूं न चाहते हुये भी मैं फ़ंस जाता हूँ!
तुम भी तो मुझे आशुतोष नाम से बुलाती हो ये उसी का फ़ल है!!
अब भगवती और परेशान कि आखिर मे राज क्या है!
क्या हो सकता है!
कुछ ऐसा है जो भगवान छुपा रहे है!!
भगवती ने गुस्से से मुंह फ़ेरा और आशुतोष विश्वनाथ बोले अच्छा चलो मैं बता रहा हूं॥
एक बार मेरा एक भक्त आया और उसने मुझसे ही मिलने की जिद की, नन्दी भृंगी आदि के लाख पूछने पर भी कुछ नही बताया तो मैने कहा नन्दी से लाओ देखें क्या कहता है तुम उस समय स्नान करने गई हुई थी!!
भक्त आया और आते ही मेरे चरणॊं मे गिर गया और श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करके उसने मेरे पास प्रस्ताव रक्खा -
गंगा जलात हैमवती प्रसंगात शीतांशुनाशीत निपीडितोसीतापत्रयातिपरितापित मानसेस्मिन आगत्य तिष्ठोप्युभयकार्य सिद्धी!!
उसके वचनानुसार मेरे सिर पर गंगधार है ,गंगाजल जो की अत्यन्त शीतल होता है , हिमवान की पुत्री से विवाह हुआ है और सिर पर शीतांशु चन्द्रमा भी है जो की परम शीतल है!!
हे भगवन आप तो ठंड से अकड जायेंगे!!
इसलिये भगवान त्रिविध तापों (आध्यात्मिक आधिभौतिक आधिदैविक) से पीडित मेरे हृदय मे आप आ के वास करिये तो मेरी जलन खत्म हो और आप की अकडन भी खत्म हो जाये दोनो सुखी हो जाये!!
उस भक्त के इस प्रस्ताव को मैं ठुकरा न सका और विश्वनाथ होने के कारण मैं भक्तों के तापत्रय युक्त हृदय मे वास करने लगा इसलिये मुझे सर्दी नही लगती!!
पार्वती जी ने मन्द मुस्कुराहट के साथ प्रणाम किया और दोनो लोग अपने आश्रम मे वापस आगये!!


Post Top Ad

Your Ad Spot