!!•!! क्या ऋषीयों ने भी ब्लैक्बेरी प्रयोग किया था !!•!! - Bablu Sharma

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!!•!! क्या ऋषीयों ने भी ब्लैक्बेरी प्रयोग किया था !!•!!

!!•!! क्या ऋषीयों ने भी ब्लैक्बेरी प्रयोग किया था !!•!!
यजुर्वेद के ३१ अध्याय के १६ मन्त्रों को पुरूष सूक्त का नाम दिया गया है जिसमे पहला मन्त्र
【"सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात। स भूमिं सर्वत स्पृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलम॥"】
है। इसका हिन्दी मे अनुवाद इस प्रकार से होगा - हजार शिरों वाला पुरुष जिसके हजार आखें हजार पैर है वो इस भूमि को चारों तरफ़ से घेरकर दस अंगुल का होकर बैठा है,
इसको पढने के बाद प्रश्न उठता है कि क्या वो पुरुष जिसकी बात इसमे की गई है हजारों सिर वाला हजार आखों वाला काना और हजार पैर वाला लंगडा है जो कि दस अंगुल मे ही समा जाता है।
इसकी कई लोगो ने कई व्याख्या की होगी पर मैने सोचा कि हां ये सही ही तो है, एक नम्बर मिलाने पर अमुक से बात होगी एक नम्बर से अमुक व्यक्ति मिलेगा तो उसका फोन यदि ३जी हो तो वो पुरूष ठीक मन्त्रानुसार बन जाता है,
उस मोबाईल मे एक स्क्रीन है जिससे आप एक व्यक्ति को देख पा रहे है और एक कैमरा है जो कि एक आंख का प्रतिनिधित्व कर रहा है,
एक ही लाईन यानी एक संप्रेशण से वो जुडा हुआ पुरुष आप के दस अंगुल लम्बे जेब मे बैठ जाता है पर फ़िर वो सहस्र शिरों वाला कैसे - जवाब फ़ेस बुक से (या अन्य नेट्वर्किंग माध्यम से) वही पुरूष आप को हजारो लाखों जगह मिल सकता है एक आंख और एक पैर वाला फ़िर भी वो व्यक्ति वही रहेगा
और सभी से जुडा होने पर भी उसकी अपनी एक वास्तविकता होगी जो की हमारे ही समानान्तर कही है जिसे हम प्रत्यक्ष तो नही देख पा रहे पर वो है जरूर बस जरूरत एक कनेक्सन की है
और फ़िर भी वो रहता एक दस अंगुल के जेब मे ही है, इसमे पूरी भूमि को व्याप्त कर रखा है अमेरिका थाईलैण्ड, जापान, भारत सब एक, हर जगह वो पुरुष एक॥
क्या ऋषियों ने भी ब्लैक्बेरी प्रयोग किया था
सभी काल निर्धारण के छोड दे और सिर्फ ५००० साल पहले या छोडिये १०० साल पहले ही ये नेट्वर्किग और इसकी अवधारणा मौजूद थी।

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