श्रीहनुमत्-मन्त्र-चमत्कार-अनुष्ठान
(प्रस्तुत विधान के प्रत्येक मन्त्र के ११००० 'जप' एवं दशांश 'हवन' से सिद्धि होती है। हनुमान जी के मन्दिर में, 'रुद्राक्ष'
की माला से, ब्रह्मचर्य-पूर्वक 'जप करें। नमक न खाए तो उत्तम है। कठिन-से-कठिन कार्य इन मन्त्रों की
सिद्धि से सुचारु रुप से होते हैं।)

२॰ ॐ नमो हनुमते, रुद्रावताराय,
विश्व-रुपाय, अमित-विक्रमाय, प्रकट-पराक्रमाय, महा-बलाय, सूर्य-कोटि-समप्रभाय,
राम-दूताय-स्वाहा।।
३॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय राम-सेवकाय, राम-भक्ति-तत्पराय, राम-हृदयाय,
लक्ष्मण-शक्ति-भेद-निवारणाय, लक्ष्मण-रक्षकाय,
दुष्ट-निबर्हणाय, राम-दूताय स्वाहा।।
४॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय सर्व-शत्रु-संहारणाय, सर्व-रोग-हराय, सर्व-वशीकरणाय,
राम-दूताय स्वाहा।।
५॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, आध्यात्मिकाधि-दैविकाधि-भौतिक-ताप-त्रय-निवारणाय,
राम-दूताय स्वाहा।।
६॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, देव-दानवर्षि-मुनि-वरदाय, राम-दूताय
स्वाहा।।
७॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, भक्त-जन-मनः-कल्पना-कल्पद्रुमाय, दुष्ट-मनोरथ-स्तम्भनाय, प्रभञ्जन-प्राण-प्रियाय,
महा-बल-पराक्रमाय, महा-विपत्ति-निवारणाय,
पुत्र-पौत्र-धन-धान्यादि-विविध-सम्पत्-प्रदाय, राम-दूताय स्वाहा।।
८॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, वज्र-देहाय, वज्र-नखाय,
वज्र-मुखाय, वज्र-रोम्णे, वज्र-नेत्राय, वज्र-दन्ताय, वज्र-कराय,
वज्र-भक्ताय, राम-दूताय स्वाहा।।
९॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, पर-यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र-त्राटक-नाशकाय, सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृन्त्तकाय,
सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्व-दुष्ट-मुख-स्तम्भनाय,
सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय, राम-दूताय स्वाहा।।
१०॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्ट-ग्रह-बन्धनाय,
राम-दूताय स्वाहा।।
११॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, पँच-वदनाय पूर्व-मुखे सकल-शत्रु-संहारकाय, राम-दूताय स्वाहा।।
१२॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, पञ्च-वदनाय दक्षिण-मुखे कराल-वदनाय, नारसिंहाय, सकल-भूत-प्रेत-दमनाय, राम-दूताय स्वाहा।।
१३॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, पञ्च वदनाय पश्चिम-मुखे गरुडाय, सकल-विष-निवारणाय, राम-दूताय स्वाहा।।
१४॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, पञ्च वदनाय उत्तर मुखे आदि-वराहाय, सकल-सम्पत्-कराय, राम-दूताय स्वाहा।।
१५॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, उर्ध्व-मुखे, हय-ग्रीवाय,
सकल-जन-वशीकरणाय, राम-दूताय स्वाहा।।
१६॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, सर्व-ग्रहान, भूत-भविष्य-वर्त्तमानान्-
समीप-स्थान् सर्व-काल-दुष्ट-बुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय पर-बलानि क्षोभय-क्षोभय,
मम सर्व-कार्याणि साधय-साधय स्वाहा।।
१७॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, पर-कृत-यन्त्र-मन्त्र-पराहंकार-भूत-प्रेत-पिशाच-पर-दृष्टि-सर्व-विध्न-तर्जन-चेटक-विद्या-सर्व-ग्रह-भयं
निवारय निवारय स्वाहा।।
१८॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, डाकिनी-शाकिनी-ब्रह्म-राक्षस-कुल-पिशाचोरु-भयं
निवारय निवारय स्वाहा।।
१९॰ ॐ नमो हनुमते
रुद्रावताराय, भूत-ज्वर-प्रेत-ज्वर-चातुर्थिक-ज्वर-विष्णु-ज्वर-महेश-ज्वर
निवारय निवारय स्वाहा।।
२०॰ ॐ नमो
हनुमते रुद्रावताराय, अक्षि-शूल-पक्ष-शूल-शिरोऽभ्यन्तर-शूल-पित्त-शूल-ब्रह्म-राक्षस-शूल-पिशाच-कुलच्छेदनं
निवारय निवारय स्वाहा।।