!!•!! सहस्रार चक्र !!•!! - Bablu Sharma

Everyone needs some inspiration, and these motivational quotes will give you the edge you need to create your success. So read on and let them inspire you.

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!!•!! सहस्रार चक्र !!•!!

!!•!! सहस्रार चक्र !!•!!
सहस्रार चक्र (शून्य चक्र) का स्थान-मस्तिष्क,
दल-सहस्र,
दलों के अक्षर-अं, से, क्षं, तक की पुनरावृत्तियाँ,
लोक-सत्य,
तत्त्वों के अतीत।
बीज तत्त्व-विसर्ग ( : ),
वाहन-बिन्दु,
देव-परब्रह्म,
देवशक्ति-महाशक्ति,
यंत्र-पूर्णचन्द्राकार,
प्रकाश-निराकार,
ध्यान का फल-
भक्ति, अमरता, समाधि, समस्त ऋद्धि-सिद्धियों का करतलगत होना।
सहस्रार चक्र का जागरण एक असाधारण एवं विरल घटना है। यूँ प्रत्येक चक्रों का जागरण एक अद्भुत घटना है, परन्तु सहस्रार का पूर्ण जागरण होने पर साधक देहधारी परात्पर शिव बन जाता है।
विरले ही होते हैं, जिसमें यह चक्र पूर्णरूपेण जाग्रत होता है। भगवान बुद्ध में सहस्रार पूर्णतः जाग्रत था।
भगवान शंकर, स्वामी विवेकानन्द, आदि ऋषियों का भी सहस्रार जागृत था।
सहस्रार मस्तिष्क के मध्य भाग में है। शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथियों से सम्बद्ध रेटिकुलर ऐक्टिवेटिंग सिस्टम का अस्तित्त्व है।
वहाँ से जैवीय विद्युत का स्वयंभू प्रवाह उभरता है। वे धाराएँ मस्तिष्क के अगणित केन्द्र की ओर दौड़ती हैं।
इसमें से छोटी-छोटी चिंगारियाँ तरंगों के रूप में उड़ती रहती हैं। ये हजारों की संख्या में होने के कारण इसे सहस्रार कहा जाता है।
सहस्र फन वाले शेष नाग की परिकल्पना का यही आधार है। यह संस्थान ब्रह्मांडीय चेतना के साथ संपर्क साधने में अग्रणी है, इसलिए उसे ब्रह्मरंध्र या ब्रह्मलोक भी कहते हैं।
रेडियो एरियल की तरह साधक उस स्थान पर शिखा रखते हैं और उस सिर रूपी दुर्ग पर आत्मसिद्धान्तों को स्वीकृत लिए जाने की विजय पताका बनाते हैं।
आज्ञा चक्र को सहस्रार का उत्पादन केन्द्र कह सकते हैं।
इसका संतुलन बिगड़ने पर सिरदर्द, मानसिक रोग, नाड़ीशूल, मिर्गी, मस्तिष्क रोग, एल्झाइमर, त्वचा में चकत्ते आदि रोग होते हैं।


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