मंदिर में दर्शन के लिए, स्कूल
अस्पताल में एडमिशन
के लिए, ट्रेन
में रिजर्वेशन के लिए, राशनकार्ड, लाइसेंस, पासपोर्ट के
लिए, नौकरी
के लिए, रेड
लाइट पर चालान से बचने के लिए, मुकदमा जीतने और हारने
के लिए, खाने
के लिए, पीने
के लिए, कांट्रैक्ट
लेने के लिए, यहां
तक कि
सांस लेने के लिए भी आप ही तो रिश्वत देते हैं. अरे और तो और अपने बच्चों
तक को आप ही तो रिश्वत लेना और देना सिखाते हैं. इम्तेहान में पास हुए
तो घड़ी नहीं तो छड़ी.
अब आप ही बताएं कि क्या गुनहगार सिर्फ नेता, अफसर
और बाबू हैं? आप
एक बार ठान कर तो देखिए कि आज के बाद किसी को रिश्वत
नहीं देंगे. फिर देखिए ये भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी कैसे खत्म होते हैं.
आंकड़े कहते हैं कि 2009 में
भारत में अपने-अपने काम निकलवाने के लिए 54 फीसदी
हिंदुस्तानियों ने रिश्वत दी. आंकड़े कहते हैं कि एशियाई प्रशांत
के 16 देशों
में भारत का शुमार चौथे सबसे भ्रष्ट देशों में होता है.
आंकड़े कहते हैं कि कुल 169 देशों
में भ्रष्टाचार के मामले में हम 84वें नंबर पर हैं.
आंकड़े ये भी बताते हैं कि 1992 से
अब तक यानी महज
19 सालों
में देश के 73 लाख
करोड़ रुपए घोटाले की भेंट चढ़ गए. इतनी बड़ी रकम से हम 2 करोड़
40 लाख
प्राइमरी हेल्थसेंटर बना सकते थे. करीब साढ़े 14 करोड़
कम बजट के मकान बना सकते थे. नरेगा जैसी 90 और स्कीमें शुरू हो
सकती थीं. करीब 61 करोड़
लोगों को नैनो कार मुफ्त मिल सकती थी. हर हिंदुस्तानी को 56 हजार
रुपये या फिर गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे सभी 40 करोड़ लोगों में से
हर एक को एक लाख 82 हजार
रुपये मिल सकते थे. यानी पूरे देश की तस्वीर बदल
सकती थी.
तस्वीर दिखाती है कि भारत गरीबों का देश है.
पर दुनिया के सबसे बड़े अमीर यहीं बसते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो स्विस
बैंक के खाते में सबसे ज्यादा पैसे हमारा जमा नहीं होता. आंकड़ों के मुताबिक
स्विस बैंक में भारतीयों के कुल 65,223 अरब रुपये जमा है. यानी जितना
धन हमारा स्विस बैंक में जमा है, वह हमारे जीडीपी का 6 गुना
है.
आंकड़े ये
भी बताते हैं कि भारत को अपने देश के लोगों का पेट भरने और देश चलाने के
लिए 3 लाख
करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ता है. यही वजह है कि जहां एक तरफ
प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, वही दूसरी तरफ प्रति भारतीय पर कर्ज भी बढ़
रहा है. अगर स्विस बैंकों में जमा ब्लैक मनी का 30 से 40 फीसदी
भी देश में
आ गया तो हमें कर्ज के लिए आईएमएफ या विश्व बैंक के सामने हाथ नहीं फैलाने
पड़ेंगे.
स्विस बैंक में भारतीयों का जितना ब्लैक
मनी जमा है, अगर
वह सारा पैसा वापस आ जाए तो देश को बजट में 30 साल तक कोई टैक्स नहीं
लगाना पड़ेगा. आम आदमी को इनकम टैक्स नहीं देना होगा और किसी भी चीज पर
कस्टम या सेल टैक्स नहीं लगेगा.
सरकार सभी गांवों को सड़कों से जोड़ना
चाहती है. इसके लिए 40 लाख
करोड़ रुपये की जरूरत है. अगर स्विस बैंक से ब्लैक मनी वापस आ
गया तो हर गांव तक चार लेन की सड़क पहुंच जाएगी.
जितना धन
स्विस बैंक में भारतीयों का जमा है, उसे उसका आधा भी मिल
जाए तो करीब 30 करोड़
नई नौकरियां पैदा की जा सकती है. हर हिंदुस्तानी को 2000 रुपये मुफ्त
दिए जा सकते हैं. और यह सिलसिला 30 साल तक जारी रह सकता है. यानी देश से
गरीबी पूरी तरह दूर हो सकती है.