केवल कर्महीन ही ऐसे होते हैं.जो भाग्य को कोसते हैं, और जिनके पास शिकायतों का बाहुल्य होता है।
दूसरों के दुर्भाग्य से या गलतियों से बुद्धिमान व्यक्ति यह शिक्षा ग्रहण करते हैं कि उन्हें किस बात से बचना चाहिए।
सच्चे मित्रों के चुनाव की पहली और प्रमुख आवश्यकता है, उत्कृष्ट पुस्तकों का चुनाव।
जो कुछ तुम आज कर सकते हो, उसे कल के भरोसे पर कभी मत छोड़ो।
एक-दूसरे को प्रेम करो, लेकिन प्रेम को बंधन मत बनने दो।
कर्म को स्वार्थ की ओर से परमार्थ की ओर ले जाना ही मुक्ति है, कर्म का त्याग मुक्ति नहीं है।
मौत का डर, जिंदगी के डर से ही आता है। जो शख्स भरपूर जिंदगी जीता है, वह
किसी भी वक्त मौत को गले लगाने के लिए तैयार रहता है।
जब आप कुछ गंवा बैठते हैं, तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गंवाएं।
विवेक के मामलों में बहुमत के नियम का कोई स्थान नहीं है।
ज्ञान ही सबसे बड़ी अच्छाई है और अज्ञानता ही सबसे बड़ी बुराई है।
जब आप गुस्से में हो तो कोई निर्णय ना ले और जब आप बहुत खुश हो तो कोई वादा ना करे।
जो जैसा करता है अन्त में वैस भरता है, इसलिए दूसरो के काम की जगह हमें अपने काम में ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
अब तक की सबसे बड़ी खोज यह हैं कि व्यक्ति महज अपना दृष्टिकोण बदल कर अपना भविष्य बदल सकता हैं।
हमें किसी भी खास समय के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने हर समय को खास बनाने की पूरी तरह से कोशिश करनी चाहिए।
पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है
फिर उसका विरोध होता है और
फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है
छोटे सपने देखना ही अपराध है।
‘इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।’
‘जीवन में अपने मन का हो तो अच्छा और न हो तो और भी अच्छा।
कभी अपनी मौलिकता को दूसरों के लिए मत बदलना, क्योंकि आपका रोल आप से अच्छा कोई और प्ले नहीं कर सकता, इसलिए खुद पर विश्वास करें।
"मेरे पीछे मत चलो, हो सकता है मैं नेत्रित्व ना कर पाऊं। मेरे आगे मत चलो
हो सकता है मैं अनुगमन ना कर सकूं। बस मेरे साथ चलो मेरे मित्र बनकर।"