मैं मरा नहीं सोया हूँ
माँ के आँचल में
मैं मरा नहीं सोया हूँ
माँ के आँचल में कल सूरज
बनकर जागूँगा उदयाचल में
मुझे पहचान लेना।
जो केवल अपने लिए जिए वे
मरते हैं हम से
तो अवतारों की तरह
उतरते हैं देखो मैं
उड़ता फिरता बैठा बदल
में मुझे पहचान लेना।
मैं गया नहीं बैठा हूँ जन-
जन के मन में हिमगिरि से
लेकर सागर तक के कण-कण
में मैं आँखों में सपनों में
प्राणों के ताल में मुझे
पहचान लेना।
मैं मिटा नहीं हँसता हूँ
फूलों कलियों में चमचम बन
दौड़
रहा तारों की गलियों में
मैं पवन बन गया हूँ
घाटी के जंगल में मुझे
पहचान लेना।
मैं बुझा नहीं जलता हूँ नई
जवानी में सीने पर
गोली खाती हुई
कहानी में मैं बिगुल
फूँकता हूँ सेना की हलचल में
मुझे पहचान लेना।
!! वन्दे मातरम् !! —
माँ के आँचल में
मैं मरा नहीं सोया हूँ
माँ के आँचल में कल सूरज
बनकर जागूँगा उदयाचल में
मुझे पहचान लेना।
जो केवल अपने लिए जिए वे
मरते हैं हम से
तो अवतारों की तरह
उतरते हैं देखो मैं
उड़ता फिरता बैठा बदल
में मुझे पहचान लेना।
मैं गया नहीं बैठा हूँ जन-
जन के मन में हिमगिरि से
लेकर सागर तक के कण-कण
में मैं आँखों में सपनों में
प्राणों के ताल में मुझे
पहचान लेना।
मैं मिटा नहीं हँसता हूँ
फूलों कलियों में चमचम बन
दौड़
रहा तारों की गलियों में
मैं पवन बन गया हूँ
घाटी के जंगल में मुझे
पहचान लेना।
मैं बुझा नहीं जलता हूँ नई
जवानी में सीने पर
गोली खाती हुई
कहानी में मैं बिगुल
फूँकता हूँ सेना की हलचल में
मुझे पहचान लेना।
!! वन्दे मातरम् !! —