इश्क सूरत से नहीं, रूह से होता है' ये बात शायराना लग रही है पर बेंगलुरु के जयप्रकाश ने इस अफसाने को हकीकत में तब्दील कर दिया - Bablu Sharma

Everyone needs some inspiration, and these motivational quotes will give you the edge you need to create your success. So read on and let them inspire you.

Post Top Ad

Your Ad Spot

इश्क सूरत से नहीं, रूह से होता है' ये बात शायराना लग रही है पर बेंगलुरु के जयप्रकाश ने इस अफसाने को हकीकत में तब्दील कर दिया


इश्क सूरत से नहीं, रूह से होता है' ये बात 
शायराना लग रही है पर बेंगलुरु के जयप्रकाश ने इस अफसाने को हकीकत में तब्दील कर दिया.
जयप्रकाश कहते हैं, '2004 में मैं 17 साल का था. मेरी क्लास के सामने से एक लड़की गुज़री, जिसे मैं देखता ही रह गया. मैंने उसके जैसी लड़की कभी देखी ही नहीं थी. वक्त से साथ-साथ हम दोस्त तो बने, पर जब भी मैं उसे किसी और के साथ देखता मेरा दिल बेचैन हो उठता. फिर मैंने उससे बात बंद कर दी, जिसका अंदाजा लड़की को भी नहीं था कि क्यों ? एग्जाम्स के बाद, उसने मेरी स्लैम बुक में लिखा कि वह मुझसे बात करना चाहती थी. पर ऐसा कभी हो नहीं सका.
मैं कॉलेज गया,
दोबारा किसी से मिलने पर मुझे वो रूहानियत 
महसूस नहीं हुई. फिर वो बेंगलुरु चली गई.'
2007 में मेरे जन्मदिन पर फोन आया. उस आवाज़ ने ख़ुद का तार्रूफ बतौर सुनीता कराया और मेरा दिल फिर से 17 साल के लड़के की तरह धड़कने लगा. हमने सिर्फ 2 मिनट बात की. पर मेरे लिए वह कभी न ख़त्म होने वाले लम्हा थे. हम यदा-कदा जुड़ते और अपनी-अपनी ज़िंदगियों में गुम हो जाते.
नवंबर 2011 में एक म्युचुअल दोस्त का फोन आया, उसने बताया कि सुनीता का एक्सिडेंट हो गया है और वो कोयंबटूर में है. मैंने अपने-आप से पूछा क्या मैं उससे मिलना चाहता हूं ? मुझे लगा ये कोई छोटा-मोटा एक्सिडेंट होगा, इसलिए मैंने दो दिनों बाद उसे फोन किया. जिस आवाज़ ने मुझे फोन पर जवाब दिया, मैं उसे पहचान नहीं पाया. मैं उससे मिलने गया तो मैंने एक शख्स को देखा जिसके बाल नहीं थे, चेहरे की बनावट बिगड़ी हुई थी, नाक नहीं था, मुंह नहीं था, दांत नहीं थे और वह 90 साल के बुज़ुर्ग की तरह चल रही थी.
मैं स्तब्ध रह गया, टूट गया. उस लम्हे में मुझे अहसास हुआ, मैं इस लड़की से प्यार करता हूं. तब पहली दफा देर रात मैंने उसे मैसेज किया-
क्या मैं वो शख्स हूं, जो हमेशा तुम्हारा ख़्याल रख सकता है ? मैं तुमसे प्यार करता हूं, तुमसे शादी करना चाहता हूं.
जवाब में उसका फोन आया, मैंने फिर से उसे प्रपोज किया. वो हंसी, लेकिन उसने मना भी नहीं किया.
शुरुआत में मेरी मां ये सब जानकर चौंक गईं थी पर पापा ने साथ दिया. फिर आखिरकार वे दोनों मेरे साथ आए. आगे बढ़ते हुए जनवरी 2012 में मैंने उसे उसकी सारी सर्जरियों के बाद ICU में हंसते हुए देखा. हमने ज़िंदगी को साथ में जानना शुरू किया. हमारे बीच भी उतार-चढ़ाव आए पर हमने उन्हें गुज़र जाने दिया. मैं उसके लिए आगे बढ़ा और हम बेंगलुरु शिफ्ट हुए. इस सबने मुझे एक साहसी शख्स बनना सिखाया.
26 जनवरी 2014 की रात तकरीबन 1 बजे एकदम थका-मांदा मैं बेंगलुरु पहुंचा. मैंने उसे छत पर तीन गुलाब लिए मुझे प्रपोज करने लिए इंतजार में खड़ा देखा. मेरा जवाब हां था.
हमने उसी दिन सगाई की और जल्द ही शादी की तैयारियों में जुट गए. शादी की दौड़भाग हमें बदहवास कर रही थी. हमारी फाइनेंशियल स्थिति की वजह से काफी परेशानियां सामने आईं. अपने रिसेप्शन की सुबह मैं शॉर्ट्स में साफ-सफाई में जुटा हुआ था. बहुत से लोगों ने सवाल किए, हमें अभी शादी क्यों करनी है! उन्होंने सुनीता से कहा कि उसे बच्चे नहीं करने चाहिए क्योंकि बच्चों को उसका सामना करना पड़ेगा.
लोग आज भी उसकी तरफ दया-भाव से देखते हैं और सोचते हैं कि मैंने उससे शादी करके कोई बड़ी नेकी की है. जबकि सच्चाई ये है कि मैंने अपने प्यार से शादी की है. मेरी ज़िंदगी में ये बदलाव बेहतरी के लिए आया. आज हमारे दो बच्चे हैं और हर दिन जागने के लिए एक खुशनुमा सुबह और वजह होती है.
मैंने अपने टीन एज क्रश से शादी की. वो मेरा प्यार बनी. प्यार चेहरे और बाहरी खूबसूरती की वजह से नहीं, आत्माओं का मेल होता है. ये एक खूबसूरत अहसास है. मैं सिर्फ ये जानता हूं कि मैं उससे बेइंतहा प्यार करता हूं, जो दायरे से परे और हमे
क्या हुआ था सुनीता के साथ...
शनिवार के दिन मैं अपने घर कोयंबटूर जाने के लिए तैयार हुई. दोस्त मुझे ड्रॉप करने वाले थे. जब वो हादसा हुआ तो हम कृष्णागिरी के नज़दीक थे. मारूति 800 की पिछली खिड़की खुली थी और मैं कानों में हेडफोन लगाए सीट पर सो रही थी. जोरदार टक्कर की आवाज़ से मैं उठी. उसके बाद, मैंने अपने कंधे पर अपने दोस्त के आंसुओं को महसूस किया, वह मुझसे कह रहा था कि मेरी गोद में दम मत तोड़ना. बाद में उन्होंने मुझे बताया कि मेरे बाल खिड़की में बुरी तरह फंस गए थे, और चेहरा खिड़की से बाहर की तरफ था. कार डिवाइडर से टकराने के बाद तीन बार पलटी. उस समय उनके पास जो कुछ था, मेरे बैग में रखी सोने की चेन समेत उन्होंने एंबुलेंस वाले को सब दे दिया और मुझे बैंगलुरु ले गए.
आधी रात को मुझे ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया. चेहरे पर कुछ नहीं बचा था. चेहरे पर पड़ी स्किन को साफ करने में डॉक्टर्स को दो हफ्ते लगे. इस प्रोसेस के दौरान, डॉक्टर्स ने मेरी दाईं आंख (eye ball) को मेरे गाल पर पड़ा पाया, जिसे उन्होंने वापस उसकी जगह रखा. उन नलियों से मैं तंग आ चुकी थी, जिनके सहारे मैं सांस ले रही थी. मेरा निचला जबड़ा पांच जगह से टूटा था और ऊपरी जबड़ा पूरी तरह मसल चुका था. मेरे मुंह में सिर्फ एक दांत बचा था, उन्होंने ड्रिल के मेरे मुंह में ज़रिए बत्तीसी लगाई.
लंबे वक्त के लिए मेरे कमरे में आइने नहीं थे, ताकि मैं अपना चेहरा न देख पाऊं. मैंने अपनी पहली झलक लिफ्ट के दरवाजे में लगे आईने में देखी. पहले मैं निराश हुई और फिर डर गई. मैंने एक बड़ा, टेढ़ा, मुड़ा हुआ चेहरा देखा, जिसपर बीचोंबीच एक छेद था. 2011 से 2014 के बीच मेरी 27 सर्जरी हुईं. अब मेरे पास सूंघने और आंसुओं की ग्रंथियां नहीं हैं. मैं कुछ भी सूंघ नहीं सकती. खाना नहीं चबा सकती और मुंह बंद नहीं कर सकती.
इस सफर ने मुझे रिश्तों के बारे में बहुत कुछ सिखाया. मेरी बहन हमेशा मेरे पास मजबूत खंभे की तरह रही. कुछ लोग दोस्त से परिवार बन गए, जिन्होंने मेरी आवाज़ को चेहरा देने में जी जान लगा दी. वैसे भी लोग थे जिन्होंने मुझे छोड़ दिया, कुछ टूट गए और कुछ में मेरा सामना करने की हिम्मत नहीं थी.
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मैं तमिलनाडु गई फिर जल्द ही बेंगलुरु वापस आई. फिर मुझे उसी लड़के ने प्रपोज किया, जिसको 17 साल की उम्र से मुझपर क्रश था. शुरुआत में मैं हारा हुआ महसूस करती थी. सोचती थी क्या मैं यही सब भोगने लायक हूं ? क्या यही मेरी किस्मत है ?
मैंने किसी का दिल नहीं दुखाया था, मैं सिर्फ बेहतर ज़िंदगी चाहती थी. मैं नहीं चाहती थी ज़िंदगी मुझपर हंसे. मुझे बताया गया कि मैं खुशनसीब और एक मोजज़ा (Miracle) हूं. हम किसी को क्या लौटा रहे हैं, दरअसल वही चमत्कार है...!!!!!

Post Top Ad

Your Ad Spot