जमाने से बेखबर कुछ इस तरह प्यार करते थे चांद और फिजा
ग़मे-ए-ज़िंदगी तेरी राह मे, शब-ए-आरज़ू तेरे चाह मे, जो उजड़ गया वो बसा नही, जो बिछड़ गया वो मिला नही, जो दिलो-नज़र का सरूर था मेरे पास रह के भी दूर था के कदम तो सबसे मिला लिए मेरा दिल किसी से मिला नही. -------बब्लू शर्मा
ग़मे-ए-ज़िंदगी तेरी राह मे, शब-ए-आरज़ू तेरे चाह मे, जो उजड़ गया वो बसा नही, जो बिछड़ गया वो मिला नही, जो दिलो-नज़र का सरूर था मेरे पास रह के भी दूर था के कदम तो सबसे मिला लिए मेरा दिल किसी से मिला नही. -------बब्लू शर्मा