"जाके पांव न गई बेबाई-ताके जाने पीर पराई" ।
मतलब जिसने तकलीफ उठाया है, दर्द सहन किया है वही दूसरों की तकलीफ को समझ सकता है, महसूस कर सकता है । जिसने सच में विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष किया है, उसी को दूस
रे लोगों की पीड़ा समझ में आती है ।
यह है फिल्मी दुनिया के कलाकार "सोनू सूद" का रेल्वे पास है सन 1997-98 का, जो कभी ₹420 वाली लोकल का पास लेकर सफर किया करते थे । आज हजारों कामगारों को अपने स्वयं के खर्चे से उनके घरों तक पहुंचा रहे है ।
सोनू सूद जी आपकी जिंदादिली को सादर नमन करते हैं ।
मतलब जिसने तकलीफ उठाया है, दर्द सहन किया है वही दूसरों की तकलीफ को समझ सकता है, महसूस कर सकता है । जिसने सच में विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष किया है, उसी को दूस
रे लोगों की पीड़ा समझ में आती है ।
यह है फिल्मी दुनिया के कलाकार "सोनू सूद" का रेल्वे पास है सन 1997-98 का, जो कभी ₹420 वाली लोकल का पास लेकर सफर किया करते थे । आज हजारों कामगारों को अपने स्वयं के खर्चे से उनके घरों तक पहुंचा रहे है ।
सोनू सूद जी आपकी जिंदादिली को सादर नमन करते हैं ।