सहजता और उदारता से भरा जीवन मानव की वह मूल संपदा है जिसमें सिद्धियां और विशिष्टताएं समाई हुई रहती हैं जिसे मथने पर ये सिद्धियां और विभूतियां सामने उभरकर आ जाती है, यह उसी प्रकार से होता है जिस प्रकार से दूध को जब मथा जाता है तब उसमें से इसकी क्रीम प्राप्त होती है और जब इसे धीमी लौ पर पकाया जाता है तब उससे सुगंधित और प्रबल उर्जा प्रदान करने वाला घी प्राप्त होता है जो दूध की मुख्य विशिष्टता है ! इसी प्रकार से मस्तिष्क में समाहित सिद्धियों और विभूतियों को निकालमे में भी कुछ इसी तरह की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है !
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सहजता और उदारता से भरा जीवन मानव की वह मूल संपदा है
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